तू लड़ता जा
तू लड़ता जा,
आगे बढ़ता जा,
ये जो लहू हैं बहता तेरी रगों में,
इस लहू को लावा करता जा।
वो दिन भी आएगा,
जब तू बेख़ौफ़ होगा,
जब तू आज़ाद होगा।
तब तक अपने अंदर,
इंक़लाब पैदा करता जा।
वो दिन भी आएगा,
जब ये इंक़लाब आमद होगा।
तब तक तू अपने खून से,
कलम में स्याही भरता जा।
Chanchal
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